इंदौर. शहर की तेली वाली गली में तिलोकचंद (त्रिलोकचंद जैन) की एक छोटी सी परचून की दूकान है। जिसमें तिलोकचंद ने ‘उधारी बंद है’ का बड़ा सा पोस्टर लगा रखा है। लेकिन कल वो एक ग्राहक को उधारी देते हुए रंगे हाथों पकड़ लिए गए। हुआ यूँ कि उधारी लेने वाला वो ग्राहक उनका बहुत पुराना ग्राहक था इसलिये उन्होंने उसे चुपके से उधारी में राशन दे दिया। सामान पैक कराने के बाद जैसे ही उस ग्राहक ने तिलोकी से कहा कि-“सेठ जी, हिसाब में लिख लीजिये, पिछले महीने का और इस महीने का सारा हिसाब दस तारीख़ को कर दूंगा।”
उधार देने पर तिलोकी को घेरकर खड़े ग्राहक
“कैसी बात करते हैं आप! आप तो हमारे पुराने ग्राहक हैं। आपको जब सुविधा लगे, आप पेमेंट कर देना।” -तिलोकचंद ने चुपके से कहा। दोनों की ये सारी बातें पास में खड़ी एक महिला ने सुन लीं। उसने सबसे पहले तो तिलोकचंद से प्यार से कहा- “सेठ जी, हम भी इस महीने का राशन उधारी में ले जाएँगे, फिर कुछ दिन में आपका पैसा चुका देंगे।” इस पर तिलोकचंद बोले- “नहीं…नहीं बहनजी! हम किसी को उधार नहीं देते। वो देखिए सामने क्या लिखा है!”
यह सुनते ही महिला भड़क गई और उसने तिलोकचंद को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया। महिला ने चिल्लाते हुए कहा- “अभी-अभी मेरे सामने तो आपने उस आदमी को उधारी दी है और हमें मना कर रहे हैं। हम आपके पैसे लेकर भाग जायेंगे क्या?” ये सारा हल्ला सुनकर दुकान पर लोग इकट्ठा हो गये। जैसे ही उन्हें पता चला कि तिलोकचंद ने किसी को उधार दिया है, उन्होंने तिलोकी को ताने मारना शुरु कर दिया।
वे सब उधार भी मांगने लगे। एक बुज़ुर्ग व्यक्ति ने धमकी देते हुए कहा- “या तो उससे भी पैसे मंगाओ नहीं तो हमें भी उधार दो!” यह सुनकर तिलोकचंद जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा- “लड़का भेजकर शर्मा जी (जिसे उधार दिया था) से अभी सारे पैसे मंगाता हूं और प्रॉमिस करता हूं कि आइंदा किसी को उधार नहीं दूंगा। आगे से अगर कभी उधार देता पकड़ो तो सारी दुकान तुम्हारी!” तब कहीं जाकर लोग शांत हुए और दुकान के सामने से हटे।