नागपुर. कुछ भी यार को सूत्रों से मिली जानकारी से पता लगा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को ‘फॉल्स स्टार्ट’ की वजह से आरएसएस ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर दिया। महत्वपूर्ण है कि आडवाणी कल नागपुर में सर संघचालक श्री मोहन भागवत से मिले थे। जिसके बाद पत्रकारों से बातचीत में आडवाणी ने संकेत दिया था कि अब वो प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं।
सूत्र बताते हैं कि संघ इस बात से ख़ासा नाराज़ था कि जब लोकसभा चुनाव होने में पूरे तीन साल बाकी हैं, तो इतनी क्या जल्दी थी कि आडवाणी ने रथयात्रा का एलान कर खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल कर लिया। आडवाणी से मुलाकात में मोहन भागवत ने साफ कहा कि दौड़ चाहे एथलेटिक्स की हो या फिर प्रधानमंत्री पद की, उसका एक स्टार्टिंग टाइम होता है, हर धावक को फायर का इंतज़ार करना पड़ता है और उसके बाद ही वो दौड़ शुरू कर सकता है।
आडवाणी साहब को इस बात का अफसोस है कि सालों के इंतज़ार के बाद भी पीएम पद का उनका वेटिंग, कंफर्म होना तो दूर आरएसी में भी तब्दील नहीं हो पाया
ख़बर है कि सर संघचालक ने आडवाणी को उसेन बोल्ट का उदाहरण देते हुए समझाया भी कि धावक चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, लेकिन अगर वो नियम तोड़ता है तो उसे दौड़ से बाहर होना पड़ता है।
गौरतलब है कि हाल ही में उसेन बोल्ट को फॉल्स स्टार्ट की वजह से विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 100 मीटर दौड़ से बाहर होना पड़ा था। इसी उदाहरण को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि अगर दौड़ शुरू होने में ज़्यादा वक्त होता है तो कोई भी धावक इसका इस्तेमाल अपनी फिटनेस पर ध्यान देने में करता है।
इसी तरह जब चुनाव होने में अभी पूरे तीन साल बाकी थे तो बजाए अभी से रथयात्रा का एलान करने के, आडवाणी जी को इस समय इस्तेमाल पार्टी और संगठन की फिटनेस की बेहतरी के लिए करना चाहिए था।
इसके अलावा एक और तकनीकी कारण था जिसके कारण संघ ने आडवाणी साहब को डिसक्वॉलिफाई कर दिया। वो ये कि जब हर नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए दौड़ लगानी थी तो आडवाणी जी इसके लिए रथ का इस्तेमाल क्यों कर रहे थे।
इस पूरे मामले पर जब कुछ भी यार ने आडवाणी जी से बात की थी तो उन्होंने स्वीकार किया है कि हां मुझसे ग़लती हुई है और वाकई ‘फॉल्स स्टार्ट’ की वजह से मुझे संघ ने डिस्क्वॉलिफाई भी किया है। साथ ही उन्होंने इसके पीछे अपनी मजबूरी भी गिनाई।
भावुक होते हुए श्री आडवाणी ने कहा, “देखिए, वाजपेयी जी जब तक सक्रिय राजनीति में रहे तब तक मेरा प्रधानमंत्री बनने का सवाल ही नहीं था। 2004 की चुनावी हार के बाद वाजपेयी जी बीमारी हुए मैं पार्टी का सबसे बड़ा नेता बन गया। इसी दौरान मैंने एक दिन प्रधानमंत्री पद के लिए टिकट बुक करवाया तो पता चला कि अभी लंबी वेटिंग है। अयोध्या विवाद में मेरा नाम होने के कारण एनडीए के कुछ सहयोगी मुझसे परहेज़ करते थे। जिसे लेकर मैं चिंतित था और अपनी छवि बदलने के लिए संघ को नाराज़ करने की कीमत पर मैंने जिन्ना तक की तारीफ कर दी।
फिर 2009 के चुनाव आए तो मुझे लगा कि शायद वेटिंग कंफर्म हो जाएगा मगर जब चुनावी नतीजे आए तो देखा कि वेटिंग कंफर्म होना तो दूर आरएसी में भी तब्दील नहीं हो पाया था। बीजेपी को उन चुनावों में भारी हार का सामना करना पड़ा। लगातार दो चुनावी हारों से मैं टूट गया था। लगातार वेटिंग रूम में बैठे-बैठे ऊब गया था। उम्र और धैर्य जवाब देने लगे थे। मन ही मन मान लिया कि बस बहुत हुआ…अब युवाओं को मौका मिलना चाहिए।
मगर ये कहने में मुझे ज़रा-भी संकोच नहीं है कि जिस तरह यूपीए की दूसरी पारी में आए दिन एक के बाद एक घोटाले सामने आए, बेतहाशा महंगाई बढ़ी, अन्ना से लेकर रामदेव तक के जनआंदोलन हुए, इन आंदोलनों में भारी भीड़ जुटी, जनता में दबा गुस्सा बाहर आया और तमाम सर्वे में ये बात सामने आई कि अगर आज की तारीख में चुनाव हो जाएं तो बीजेपी सत्ता में आ सकती है तो ये सब देख-सुनकर अचानक मेरी रगों में खून तेज़ी से दौड़ने लगा, वेटिंग कंफर्म होता लगने लगा, प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के सपने आने लगे और भगवान श्रीराम की कस्म मुझसे रहा नहीं गया।
इस बीच मैं फिर से खुद को बीजेपी में पीएम पद का दावेदार पेश करने की सोच ही रहा था कि मोदी साहब को सुप्रीम कोर्ट से क्लिन चिट मिल गई और उन्होंने उपवास का ऐलान कर दिया। जानकार कहने लगे कि ऐसा कर वो प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल तो नहीं हो रहे…ये देखकर मेरी भी बेचैनी बढ़ी और मैंने फौरन पार्किंग में खड़ा रथ निकाला, सर्विस करवाई और पंडित से पूछकर तिथि निकाली और रथयात्रा का एलान कर दिया।
अब संघ कहता है कि मैंने भी उसेन बोल्ट की तरह ‘फॉल्स स्टार्ट’ किया है, दौड़ शुरू होने से पहले भागा हूं…तो अपनी सफाई में मैं यही कहना चाहूंगा कि जिस तरह बोल्ट ने अपने साथी खिलाड़ी पर जानबूझकर पांव हिलाकर उसे धोखा देने का आरोप लगाया था, उसी तरह मैं भी नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाता हूं कि उपवास पर बैठकर उन्होंने भी ‘पांव हिलाकर’ जानबूझकर मुझे भ्रम दिया कि प्रधानमंत्री पद की दौड़ शुरू हो चुकी है और रथ लेकर मैं भागने लगा!