पीपली. लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान होकर पीपली गांव में महंगाई डायन ने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी। मृतका की उम्र 64 साल बताई जा रही है और उसका जन्म 15 अगस्त 1947 को हुआ था यानि उसी दिन जब देश आज़ाद हुआ था।
महंगाई डायन अपने पीछे एक बेटा कर्ज़ और एक बेटी भूखमरी छोड़ गई है। कहा जा रहा है कि हाल-फिलहाल बढ़ी महंगाई से वो काफी परेशान थी। उसका गुज़र-बसर काफी मुश्किल हो गया था। स्थानीय निवासी नत्था का कहना है कि महंगाई डायन का आत्महत्या करना बताता है कि धरती के विनाश का वक्त आ गया है। सालों तक महंगाई डायन हमारे प्राण चूसती रही और आज खुद महंगाई से परेशान होकर उसने प्राण गंवा दिए! इससे बड़ी त्रासदी भला और क्या हो सकती है?
आख़िरी दिनों में महंगाई डायन की माली हालत इतनी ख़राब हो गई थी कि उसे सूखी रोटियां खाकर गुज़ारा करना पड़ा
महंगाई डायन को याद करते हुए नत्था ने कहा कि वो सालों से हमारे गांव में पूरी दबंगता के साथ रह रही थी। राशन लेने से लेकर पेट्रोल भरवाने तक हर जगह वो अपना हिस्सा लेती थी। हम उससे कहीं बच नहीं पाते थे।
स्कूल में बच्चे के एडमिशन से लेकर अस्तपाल में डॉक्टर की फीस देने तक हर वक्त वो हमें लूटती थी। दही खरीदने से लेकर बेटी का दहेज बनाने तक हर जगह उसका आतंक था। हम एक-एक पैसा जोड़कर उससे निपटने के लिए खुद को तैयार करते और हर बार वो पहले से ज़्यादा डिमांडिंग हो जाती।
ऐसा कभी नहीं रहा कि गांव में किसी के पास पैसों की कमी हो। हम सब खूब मेहनत करते और खूब पैसा कमाते मगर महंगाई डायन हमेशा दबंगई दिखाकर हमसे पैसे ऐंठ लेती जिसके कारण हम हमेशा मुश्किलों में रहे और उसने मौज काटी। हम कमाते जाते और महंगाई डायन खाती जाती।
मगर पिछले एक-दो सालों से उसकी भी हालत बिगड़ने लगी थी। चाहते हुए भी हम उसकी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पा रहे थे। 40 रुपये लीटर दूध खरीदने और 75 रुपये लीटर पेट्रोल भरवाने के बाद खुद हमारे पास कुछ नहीं बचता था तो उसे क्या देते।
इस सब के चलते वो काफी फ्रस्ट्रेटिड फील कर रही थी। बदले हालात से एडजस्ट नहीं कर पा रही थी। सालों की मुफ्तखोरी के चलते उसकी आदतें काफी ख़राब हो चुकी थीं। ‘पीपली लाइव’ के महंगाई डायन गाने की रॉयल्टी में मिले चंद पैसों के अलावा उसके पास सेविंग के नाम पर कुछ नहीं बचा था। और आख़िरकार वही हुआ जिसका सभी को डर था।
वहीं महंगाई डायन के बेटे कर्ज़ ने अपनी मां की मौत के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज़िम्मेदार ठहराया है। बकौल कर्ज़, जिस देश में मेरी मां महंगाई डायन को महंगाई से परेशान होकर आत्महत्या करनी पड़ी, आप समझ सकते हैं कि वहां आम आदमी का क्या हाल होगा।
आख़िर में भावुक होते हुए कर्ज़ ने बताया कि एक बात मुझे ज़िंदगी भर सालती रहेगी। आख़िरी समय में मेरी मां पेट्रोल पीकर अपनी जान देना चाहती थी। वो खाली बोतल लेकर पचास का पेट्रोल भरवाने गई भी थीं मगर पेट्रोल पंप वालों ने ये कहकर भगा दिया कि माता जी, पचास का पेट्रोल बोतल में नहीं सीरींज में आएगा। इसके बाद मम्मी इतना तनाव में आ गईं कि बिना सुसाइड नोट लिखे ही उन्होंने रास्ते के एक कुएं में कूद कर अपनी जान दे दी। मगर अफसोस…वहां भी उनकी मौत डूबने से नहीं हुई बल्कि कुएं में कूदने पर हड्डियां टूटने के कारण हुईं क्योंकि जिस कुएं में उन्होंने छलांग लगाई थी उसमें एक बूंद भी पानी नहीं था!
और ये है इस देश के आम आदमी का दुर्भाग्य! वो बेचारा कुएं में डूबकर मरना भी चाहे तो उसे चुल्लू भर पानी नहीं मिलता और यूं ज़रा-सी बारिश में पूरा शहर डूब जाता है!