बिसरख.यूपी. रावण की जान माफी से जुड़ी यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देशभर में रावण दहन पर अंतरिम रोक लगा दी है। जिसके बाद तमाम रामलीला समितियों को हिदायत दी गई है कि वो अगले आदेश तक रावण दहन न करें।
दरअसल नोएडा से सटे रावण के पैतृक गांव बिसरख के लोगों ने यूपी सरकार से अपील की थी कि उत्तरप्रदेश सहित पूरे भारत में रावण दहन पर रोक लगाई जाए वरना बिसरख में हालात बिगड़ सकते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की अंतरिम रोक के बाद देशभर में होने वाला रावण दहन टल गया है
गौरतलब है कि त्रेता युग में इसी गांव (बिसरख) में रावण के पिता विश्रवा का जन्म हुआ और बाद में रावण भी इसी गांव में जन्मा। सालों से गांव के लोग दशहरा तो मनाते हैं मगर रावण दहन नहीं करते।
यूपी सरकार से अपनी अपील में बिसरख के लोगों ने कहा कि हम लोग रावण को आज भी पराक्रमी और प्रकांड पंडित मानते हैं। हमने कभी रावण दहन नहीं किया। सालों से दुनिया रावण दहन करती रही मगर हमने किसी को नहीं रोका। मगर आज गांव के हर घर में टीवी है, ऐसे में अगर कहीं भी रावण दहन हुआ तो पूरा गांव जान जाएगा कि उनके पुज्य रावण को जलाया जा रहा है।
इससे लोग आहत महसूस कर सकते हैं। उनकी भावनाएं भड़क सकती हैं। इलाके में हिंसा हो सकती है। हम मानते हैं कि विजयदशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है मगर कानून-व्यवस्था नाम की भी कोई चीज़ है या नहीं।
बहरहाल लोगों के इसी आक्रोश और अगले साल यूपी चुनावों के मद्देनज़र माया सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से रावण दहन या दूसरे शब्दों में रावण की जान माफी पर विचार करने की मांग की है। साथ ही गृहमंत्रालय को आगाह किया है कि रावण दहन के बाद अगर राज्य के किसी भी हिस्से में हिंसा हुई तो उसके लिए केंद्र सरकार ज़िम्मेदार होगी।
वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रावण दहन पर अंतरिम रोक के बाद हर कोई जानना चाहता है कि राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल इस पर क्या फैसला लेती हैं! राष्ट्रपति भवन से जुड़े सूत्रों पर यकीन करें तो राष्ट्रपति के पास क्षमा याचिकाओं की अभी लंबी-चौड़ी लिस्ट हैं। इनमें रावण का मामला सबसे नया है।
राष्ट्रपति को अभी राजीव गांधी हत्याकांड के तीन अभियुक्तों के अलावा अफज़ल गुरू और देवेंद्र सिंह भुल्लर की क्षमा याचिका पर निर्णय लेना है। पहले इन सब पर फैसला हो जाए, फिर सबसे आख़िर में रावण का नम्बर आएगा।
वहीं मामले की कानूनी बारिकियों को समझने के लिए जब हमने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बात की तो उनका साफ कहना था कि औसतन इन क्षमा याचिकाओं पर फैसला आने में जितना वक्त लगता है अगर उसे आधार बनाया जाए तो बहुत संभव है कि अगले पंद्रह से बीस साल तक हम दशहरा न मना पाएं।
बकौल श्री कश्यप, “अब जब तक रावण का वध नहीं होगा तो राम जी अयोध्या कैसे जाएंगे और राम जी जब अयोध्या ही नहीं जाएंगे तो फिर बहुत संभव है कि हमें अगली दीवाली के लिए अभी लंबा इंतज़ार करना पड़े। और जब तक देश अगली दीवाली नहीं मनाता, तब तक रावण चाहे तो अफज़ल गुरू और अपने बाकी साथियों के साथ देश की घटिया राजनीति पर कोरस में राक्षसी हंसी हंस सकता है!”